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चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने के समय का हुआ खुलासा, पढ़ें पूरी खबर

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बेंगलुरु। भारत के महत्वकांक्षी चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर उतरने के दिन तो पहले ही खुलासा हो चुका था, अब इसके उतरने के समय का भी खुलासा हो गया है. इसरो के मुताबिक, चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को शाम करीब 6.04 (18:04 Hrs.) उतरेगा.

बता दें कि चंद्रयान-3 इतिहास रचने के करीब पहुंच गया है. देर रात दूसरे डिबूस्टिंग ऑपरेशन के बाद विक्रम लैंडर चांद से महज 25 किमी दूर रह गया है. इससे पहले वह 113 किमी x 157 किमी की ऑर्बिट में था. अब बस 23 को सफल लैंडिंग का इंतजार है. लैंडिंग से पहले मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा.बता दें कि चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए चंद्रयान-3 के लैंडर की रफ्तार का कम होना सबसे जरूरी है. लैंडिंग मिशन में यही सबसे बड़ी चुनौती है. इसके पहले 18 अगस्त को डीबूस्टिंग की पहली प्रक्रिया की गई थी.रविवार को हुई दूसरी और आखिरी डीबूस्टिंग के बारे में इसरो ने बताया कि ऑपरेशन सफल रहा और इसने ऑर्बिट को 25 किमी x 134 किमी कर दिया है. सॉफ्ट लैंडिंग के लिए पॉवर्ड डिसेंट 23 अगस्त को भारतीय समयानुसार शाम लगभग 5.45 बजे शुरू होने की उम्मीद है.

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नोकिया ने लॉन्च किया सस्ता 5G फोन, कम दाम में 128GB स्टोरेज और 50MP कैमरा

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नोकिया (Nokia) स्‍मार्टफोन बनाने वाली HMD ग्लोबल ने भारत में एक नई डिवाइस Nokia G42 5G को लॉन्‍च कर दिया है. नोकिया के इस 5जी स्‍मार्टफोन की कीमत 13 हजार रुपये से भी कम है. फोन में 6.56 इंच का HD डिस्‍प्‍ले, स्नैपड्रैगन 480 प्लस 5G प्रोससेर जैसी खूबियां हैं. ये फोन एंड्रॉयड 13 ओएस पर चलता है. 4 कैमरों को इस फोन के साथ पैक किया गया है और 5 हजार एमएएच की बैटरी दी गई है. आइए जानते हैं इस स्‍मार्टफोन की कीमत और फीचर्स.

Nokia G42 5G को एक ही वेरिएंट में लॉन्च किया गया है. इसमें 6 जीबी रैम और 128 जीबी स्टोरेज दी गई है जिसे 12,599 रुपये में खरीदा जा सकेगा. इसे सो ग्रे और सो पर्पल कलर में खरीदा जा सकेगा. इस फोन को 15 सितंबर से अमेजन से खरीदा जा सकेगा.

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Nokia G42 5G Specifications

Nokia G42 5G को आप तीन कलर में खरीद सकते हैं जिसमें ग्रे, पिंक और पर्पल कलर है. मोबाइल फोन में 6.56 इंच की आईपीएस एलसीडी डिस्प्ले 90hz के रिफ्रेश रेट के साथ मिलेगी. फोटोग्राफी के लिए फोन में ट्रिपल कैमरा सेटअप मिलता है जिसमें 50MP का प्राइमरी कैमरा, 2MP का दूसरा कैमरा और एक 2MP का मैक्रो कैमरा है. स्क्रीन की प्रोटेक्शन के लिए इसमें आपको गोरिला ग्लास 3 का प्रोटेक्शन दिया गया है.

ये स्मार्टफोन Snapdragon 480+ SoC और एंड्रॉइड 13 के साथ आता है. Nokia G42 5G में कंपनी आपको 2 साल का OS अपडेट और 3 साल तक सिक्योरिटी अपडेट देगी. फोन में 5000 एमएएच की बैटरी 20 वॉट के फास्ट चार्जिंग के साथ मिलती है.

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जापान मून मिशन : जापान ने भी चांद के लिए भेजा SLIM, इसरो ने दी बधाई

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नई दिल्ली| भारतीय अंतिरक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) ने जापान की स्पेस एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी को चांद मिशन के सफलतापूर्वक लॉन्चिंग की बधाई दी है. एक ट्वीट में इसरो ने कहा, ‘चंद्रमा पर जापान के मिशन की सफल लॉन्चिंग पर हार्दिक बधाई. यह वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय के लिए गर्व का क्षण है. हम पूरी स्पेस कम्यूनिटी को बधाई देते हैं.

जापान ने मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग के बाद कहा- एक्स-रे इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी मिशन (एक्सआरआईएसएम), और स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (एसएलआईएम) को 7 सितंबर 2023 की सुबह 8:42:11 पर व्हीकल नंबर 47 (एच-आईआईए एफ47) से तनेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया.

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इतिहास रचने के बेहद करीब चंद्रयान-3, जानें एक-एक मिनट की अपडेट

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नई दिल्ली। भारत कुछ घंटों बाद दुनिया में इतिहास रचने वाला है. भारत का चंद्रयान-3 चांद के बेहद करीब पहुंच चुका है. आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच देगा. मिशन की सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा ऐसा देश होगा जो चांद तक पहुंचेगा. हालांकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा.

आज शाम ठीक 6 बजकर 4 मिनट पर दुनिया उस ऐतिहासिक पल की गवाह बनेगी जब विक्रम लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा. यह पहला मौका होगा जब चंद्रमा के साउथ पोल पर कोई देश पहुंचेगा. इस ऐतहासिक पल के साथ ही भारत चंद्रमा पर पहुंचने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.

विक्रम लैंडर अब चांद की सतह के बिल्कुल करीब है, यह लैंडिंग प्रोसेस शुरू कर चुका है, आज शाम को चांद की सतह पर उतरतने के बाद इसके साथ गया प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और आगे के मिशन पर काम करेगा. इसरो का यह मिशन 14 दिन का है, यानी लगातार 14 दिन तक रोवर काम करके चांद से कई जानकारियां इकट्ठा करेगा और धरती तक भेजेगा.

सबसे पहले करेगा ये काम

विक्रम लैंडर का टचडाउन कर भारत इतिहास रच देगा, लेकिन मिशन पूरा करने के लिए रोवर को लगातार 14 दिन काम करना होगा. विक्रम लैंडर से जो प्रज्ञान रोवर अलग होगा यह सबसे पहले चांद पर भारत का निशान छोड़ेगा. चंद्रयान-1 और चंद्रयान -2 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम अन्नादुरई के मुताबिकचंद्रयान-3 चांद पर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ भी बनाएगा.रोवर में भी भारत का झंडा और इसरो का निशान बना होगा. 14 दिन तक ये चांद की सतह पर जहां जहां पर मूवमेंट करेगा वहां भारत की पहुंच का निशान छोड़ता जाएगा. हालांकि यह मूवमेंट कर कितनी दूरी तय करेगा ये फिलहाल तय नहीं है. इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक यह वहां के हालात और परिस्थितियों पर निर्भर करता है कि रोवर चांद पर कितनी दूरी तय करेगा.

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भारत के लिए बड़ी उपलब्धि

भारत के लिए यह उपलब्धि और महत्वपूर्ण तब हो जाती है, जब चाँद की यात्रा पर चला रूस का लूना-25 भटक गया और इसे लेकर रूस के सारे सपने धूल-धूसरित हो गए. भारत उत्सुक है. करोड़ों लोग इसे उतरते हुए लाइव देखना चाहते हैं. अनेक प्रयोगशालाएं चंद्रयान-3 की लैंडिंग को दिखाने और मौके पर मौजूद दर्शकों की जिज्ञासा शांत करने का इंतजाम कर रही हैं. इसरो ने भी ऐसी व्यवस्था की है कि आम हिन्दुस्तानी घर में बैठे-बैठे इस गौरवपूर्ण क्षण का गवाह बन सके. देश की दुआएं इसरो और चंद्रयान-3 के साथ हैं.

धरती के 14 दिन के बराबर चांद का एक दिन

जानना जरूरी है कि चाँद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होता है. इस तरह चंद्रयान-3 सिर्फ एक दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन ही काम करेगा. डेटा कलेक्ट करेगा. भेजेगा. साइंटिस्ट डेटा का विश्लेषण करते हुए नतीजे निकालेंगे. इस 14 दिन या चाँद के एक दिन की गणना 23 अगस्त की शाम लैंड करने से शुरू होगी. लैंडर और रोवर के अलग होने के बाद से प्रणोदन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में घूमते हुए अपना काम कर रहा है. कम्यूनिकेशन इसकी प्रमुख भूमिका तय की गयी है. चंद्रयान-3 के उतरने की जगह नई तय की गयी है. जहाँ यह उतरेगा, इससे पहले दुनिया का कोई भी यान नहीं उतरा है. दक्षिणी ध्रुव के जिस इलाके में इसे उतारने का प्रयास हो रहा है, इसरो वहाँ की हवा, पानी, मिट्टी, पत्थर, भौगोलिक स्थिति, जिंदगी की संभावनाएं आदि तलाशने की कोशिश करेगा.

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विक्रम के ऊपर पूरी जिम्मेदारी

चंद्रयान-3 के साथ जो मुख्य उपकरण भेजे गए हैं उनमें लैंडर, रोवर, प्रणोदन माड्यूल मुख्य हैं. इन तीनों में कई ऐसे उपकरण हैं, जिन्हें अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इन्हीं के सहारे मिशन की सफलता सुनिश्चित करने का प्रयास हमारे साइंटिस्ट कर रहे हैं. प्रोपल्शन मॉड्यूल अलग हो चुका है, अब विक्रम लैंडर की जिम्मेदारी है. सॉफ्ट लैंडिंग के बाद यह तापीय गुणों को परखेगा. मापेगा. सतह पर आयन और इलेक्ट्रॉन घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तन को नापने में मदद करेगा. इसे लैंड करने की जगह के आसपास भूकंप की स्थिति का भी आँकलन करना है. इसके बाद रोवर प्रज्ञान चांद की सतह की मौलिक स्थिति, रासायनिक, खनिज आदि की मौजूदगी की सटीक जानकारी में मदद करेगा.

चंद्रयान-3 लगातार कर रहा काम

यह समझना भी जरूरी है कि चंद्रयान-3 अपना काम पहले दिन से कर रहा है. अब तक जितनी तस्वीरें इसरो ने जारी की है, यह यान के लैंडर पोजीशन डिटेक्शन कैमरा की वजह से संभव हो रहा है. बड़ी संख्या में यही तस्वीरें वैज्ञानिकों को चंद्रयान के रास्ते और चाँद के सतह की जाँच में मदद करने वाली हैं. यह भारत के अंतरिक्ष में शानदार प्रदर्शन को दुनिया के सामने लाएंगे. यह देश को ताकत देगा. इसी के साथ भारत के अंतरिक्ष की अर्थव्यवस्था में अचानक उछाल आएगा. अभी साल 2025 तक 13 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है. 23 अगस्त शाम को चंद्रयान-3 की सफल लैंडिग को लाइव देखा जा सकता है.

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